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कंपनी ने एक बयान में कहा, रिलायंस कम्यूनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है।
निदेशक मंडल ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की। निदेशक मंडल ने पाया कि 18 महीने बीत जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्ज दाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है। कंपनी ने एनसीएलटी की शरण में जाने के फैसले के पीछे का तर्क बताते हुए कहा कि कंपनी को उधार देने वाले 40 देशी और विदेशी संस्थाओं में पूरी तरह से मतभेद है।
हालांकि पिछले 12 महीनों में इनके बीच सहमति बनाने के लिए 45 बैठकें की गईं। इसके अलावा हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और दूरसंचार विवाद एवं अपील अधिकरण (टीडीसैट) के पास कंपनी के खिलाफ दर्जनों मामले लंबित हैं। कंपनी ने कहा कि इन जटिलताओं की वजह से कंपनी एनसीएलटी के पास गई है. यहां पर सभी के कर्जों का पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया में यानी 270 दिनों के अंदर निपटारा हो सकेगा।
कंपनी ने बयान में कहा कि आरकॉम और इसकी दो सब्सिडरी कंपनियां रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के निर्णय को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा. बयान के मुताबिक इस फैसले का कंपनी के दूसरी सब्सिडरी कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसी के आधार पर निदेशक मंडल ने तय किया कि कंपनी एनसीएलटी मुंबई के जरिये तेजी से समाधान का विकल्प चुनेगी। निदेशक मंडल का मानना है कि यह कदम सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा।